Suryavanshi Arkvanshi Kshatriyon Ki Pratigya || सूर्यवंशी अर्कवंशी क्षत्रियों की प्रतिज्ञा || Arkvanshi Kshatriya

 


अयोध्या भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से जहां भगवान श्रीराम में आस्था रखने वाले जन समुदायों में खुशी की लहर है तो वहीं इससे भी ज्यादा खुशी अयोध्या और पड़ोसी जिले बस्ती सहित संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर एवं आस पास के गांवों में रहने वाले अर्कवंशी-सूर्यवंशी क्षत्रिय समाज में काफी खुशी की लहर देखी जा सकती है।

 

इसकी भी एक बहुत बड़ी वजह है सूर्यवंशी-अर्कवंशी क्षत्रिय समाज द्वारा ली गई एक प्रतिज्ञा के चलते लगभग 500 साल से भी अधिक समय से इस समाज ने अपने सिर पर पगड़ी नहीं बांधने, पैरों में चमड़े के जूते नहीं पहनने और छतरी नहीं धारण करने का प्रण ले रखा था। प्रदेश में रहने वाली कई लाखों की जनसंख्या वाले अर्कवंशी-सूर्यवंशी क्षत्रिय समाज ने 500 सालों तक कभी भी शादी विवाह में सिर पर पगड़ी नहीं बांधी और सिर को खुला रखने के लिए मौरी को धारण करना शुरू कर दिया था (जिसमें सिर खुला दिखता है) जोकि आज भी देखा जा सकता है। देश में मुगलिया सल्तनत के क्षण इन सूर्यवंशी-अर्कवंशी क्षत्रियों के पूर्वजों ने जब यह प्रतिज्ञा ली थी उस समय जूते चमड़े के बनाए जाते थे। इसलिए चमड़े के जूतों को नकार करके सूर्यवंशी-अर्कवंशी क्षत्रिय समाज ने पैरों में खड़ाऊ पहनना शुरू कर दिया था।

 

इस समाज की उस प्रतिज्ञा का कारण भी काफी ऐतिहासिक महत्व रखता हैं। दरअसल क्रूर मुगल शासक बाबर जब भारत में हमला करने आया था तो उसके सालार मीर बाकी ने  लाखो की मुगलिया लश्कर (सेना) लेकर अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर को तोड़ने के लिए रही मुगलों की आक्रमणकारी सेना की सूचना जैसे अयोध्या और पड़ोसी जिले बस्ती के आस पास गांवों में रहने वाले सूर्यवंशी-अर्कवंशी क्षत्रियों को मिली इन्होंने तलवार कुल्हाड़ी भाले डंडे जो भी लड़ने के हथियार मिलते गए उन्हें लेकर अर्कवंशी-सूर्यवंशी समाज लाखों मुगलों की सेना से अयोध्या को मुक्त कराने के लिए युद्ध करने लगा। हालांकि नियति को कुछ और ही होना था। इस भीषण रक्तपात वाले युद्ध में मुगलों की जीत हुई और कई अर्कवंशी-सूर्यवंशी क्षत्रिय वीरगति को प्राप्त हुए।

 

इसके बाद मुगलों ने श्रीराम मंदिर को तोड़कर वहां पर गुंबद खड़ी कर दी और उसे इस्लामी मस्जिद के तौर पर बाबरी मस्जिद का नाम दे दिया। जिसके बाद उस समय के सूर्यवंशी-अर्कवंशी क्षत्रियों ने यह प्रतिज्ञा ली कि जब तक वह अयोध्या से बाबरी मस्जिद को उखाड़ फेंककर भगवान श्रीराम का मंदिर नहीं बनवा लेते तब तक उनके समाज का कोई भी व्यक्ति तो अपने सामान्य जीवन में और ही शादी विवाह जैसे कार्यों में अपने सिर पर कभी पगड़ी बांधेगा और ही कभी पैरो में जूते पहनेगा इसके साथ ही साथ वह तब तक छतरी भी धारण नहीं करेगा।

 

चूंकि अब उच्चतम न्यायालय का श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में आदेश दे दिया गया है। इसलिए इन अर्कवंशी-सूर्यवंशी क्षत्रिय समाज के लोगों में काफी खुशी की लहर देखी जा सकती। जिसके बाद अब यह सूर्यवंशी-अर्कवंशी क्षत्रिय समाज लगभग 500 साल बाद फिर से अपने सिर पर उसी शान से पगड़ी बांधेगा जिसकी प्रतिज्ञा इनके पूर्वजों ने लेे रखी थी।




||||जय श्री राम जय क्षत्रिय समाज जय राजपुताना ||||

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