स्वायंभुव मनु का मनुर्भरत वंश
स्वायंभुव मनु का मनुर्भरत वंश - जैसा कि पहले लिखा जा चुका है कि तीन पौराणिक राजवंशों की वंशावलियों में मनुर्भरत वंश सबसे प्राचीन राजवंश हैं जो स्वायंभुव मनु से चला | स्वायंभुव मनु प्रथम मनु है। विश्व के अनेकों ग्रंथों का अध्ययन करने से पता चलता है कि सभी मनुष्यों की उत्पत्ति इन्हीं मनु से हुई है। संसार की भिन्न-भिन्न जातियों में मनु के भिन्न-भिन्न नाम मिलते हैं। आदीश्वर, अशिरीश, वाधेश, बैंकस, मीनस, आदम और मनु आदि नाम उस आदि पुरुष नूह के ही हैं। मनु का जीवन काल प्रथम मन्वन्तरि है। पुराणों में वर्णित स्वायंभुव मनु से लेकर उनके वंशजों का भोग काल ही सतयुग माना जाता है । पुरातत्व अनु- संधान के अनुसार सतयुग का भोग काल ई० पू० ६५६४ वर्ष से ईसा पूर्व ४५८४ वर्ष माना जाता है । स्वायंभुव मनु के दो पुत्र थे जिनका नाम प्रियव्रत तथा उत्तान पाद था । इन दोनों भाइयों से मनु वंश की दो शाखायें चलीं। एक शाखा प्रियव्रत के वंशजों की चली, जिसमें स्वायंभुव मनु समेत पाँच मनु और ३५ प्रजापति हुये, (देखें विष्णु पुराण में स्वायंभुव मनु प्रसंग, भागवत पु०, हरिवंश पु० तथा ऋग्वेद) दूसरी शाखा स्वायंभुव मनु