भगवान शिव की उपासना, उनका ध्यान
ॐ नमः शिवाय भगवान शिव की उपासना, उनका ध्यान------->>>>
सम्पुर्ण जगत में भगवान शिव के समान कोई नही हैा उनकी उपासना से बढ़कर कोई उपसाना नही है एवं उनके मंत्रो से बढ़कर कोई मंत्र नही हैा
मनुष्य योनि प्राप्त करना तभी सफल है जब यह भगवान शिव की सेवा एवं भक्ति में समर्पित हो जाये । भगवान शिव को प्रसन्न करना ही मनुष्य का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए । जिस व्यक्ति ने इस जन्म में भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया, उसके लिए करने को कुछ शेष नही रह जाता ।
वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोई विधि नही है क्योंकि वो अपने भक्तों पर कब और कैसे प्रसन्न हो जायें ये कोई नही जानता फिर भी गुरूओं के मुख से जो कुछ भी प्राप्त हुआ उसके अनुसार व्यक्ति को साधना करनी चाहिए ।
भगवान शिव का षडाक्षरी मंत्र सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वशक्तिशाली मंत्र हैा इस मंत्र के जप से आध्यात्मिक विकास होता है एवं अन्त में मोक्ष प्राप्ति होती हैा इस संसार के सभी ऐश्वर्य एवं भोग शिव साधक के आगे नतमस्तक रहते हैा कोई दुख अथवा कष्ट भगवान शिव के साधक को नही छू सकता । शिव योगी सदैव निरोगी रहता है एवं 100 वर्ष की आयु पूर्ण कर मोक्ष प्राप्त करता हैा
वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोई विधि नही है क्योंकि वो अपने भक्तों पर कब और कैसे प्रसन्न हो जायें ये कोई नही जानता फिर भी गुरूओं के मुख से जो कुछ भी प्राप्त हुआ उसके अनुसार व्यक्ति को साधना करनी चाहिए ।
भगवान शिव का षडाक्षरी मंत्र सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वशक्तिशाली मंत्र हैा इस मंत्र के जप से आध्यात्मिक विकास होता है एवं अन्त में मोक्ष प्राप्ति होती हैा इस संसार के सभी ऐश्वर्य एवं भोग शिव साधक के आगे नतमस्तक रहते हैा कोई दुख अथवा कष्ट भगवान शिव के साधक को नही छू सकता । शिव योगी सदैव निरोगी रहता है एवं 100 वर्ष की आयु पूर्ण कर मोक्ष प्राप्त करता हैा
हिन्दू धर्म पंचांग की प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित है। शिव इस तिथि के स्वामी माने जाते हैं। इस तिथि विशेष पर शाम व रात को शिव पूजन सफलता व सौभाग्य बढ़ाने वाला माना गया है।
यही वजह है कि शिव उपासना की इस मंगलकारी घड़ी में कल्याणकारी देवता शिव की अद्भुत षड़ाक्षरी मंत्र स्तुति का स्मरण तमाम सफलता व सुख पाने के लिए असरदार माना गया है।
शिव की पंचोपचार पूजा कर बोलना भी शुभ और फलदायी माना गया है। जानिए, यह मंत्र स्तुति व पूजा विधि-
- शाम या रात को शिव की पंचोपचार पूजा दूध, गंध, अक्षत, धतुरा, बिल्वपत्र व नैवेद्य अर्पित कर करें। धूप व दीप लगाकर नीचे लिखे षडाक्षरी मंत्र यानी 'ॐ नम: शिवाय मंत्र' की भी महिमा प्रकट करने वाले अद्भुत स्तोत्र का ध्यान कर शिव की आरती करें। यह शिव षडाक्षर स्तोत्र के नाम से भी प्रसिद्ध है।
ॐ कार बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।
कामदं मोक्षदं चैव ऊँकाराय नमो नम:।।
नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणा:।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नम:।।
महादेव महात्मानं महाध्यानं परायणम्।
महापापहरं देव मकाराय नमो नम:।।
शिवं शातं जगन्ननाथं लोकानुग्रहकारकम्।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नम:।।
वाहनं वृषभो यस्य वासुकि: कंठभूषणम्।
वामे शक्तिधरं वेदं वकाराय नमो नम:।।
यत्र तत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।
यो गुरु : सर्वदेवानां यकाराय नमो नम:।।
षडक्षरमिदं स्तोत्रं य: पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
भगवान शिव अत्यंत भोले व दयालु हैं। श्री शिव की पूजन जितनी आसान है उतनी ही फलदायी भी है। श्रद्धा के साथ श्री शिव पूजन करने से किसी वस्तु की कमी होने से भी श्री शिव नाराज नहीं होते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किस तरह उनका पूजन करें, जानते हैं इसी बारे में..
सकंल्प
पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों मेे जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें । अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
सकंल्प
पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों मेे जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें । अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
संकल्प का उदाहरण
जैसे 17/2/2015 को श्री शिव का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं ( अपना नाम बोलें ) विक्रम संवत् 2071 को, फाल्गुन मास के चतुर्दशी तिथि को मंगलवार के दिन, श्रवण नक्षत्र में, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में महाकाल तीर्थ में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें ) श्री शिव का पूजन कर रही / रहा हूं।
सर्वप्रथम गणेश पूजन करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। अब भगवान शिव का पूजन शुरू करें। गृहस्थ जीवन में भगवान श्री शिव की पारद प्रतिमा का पूजन सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। सफेद आक या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
जैसे 17/2/2015 को श्री शिव का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं ( अपना नाम बोलें ) विक्रम संवत् 2071 को, फाल्गुन मास के चतुर्दशी तिथि को मंगलवार के दिन, श्रवण नक्षत्र में, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में महाकाल तीर्थ में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें ) श्री शिव का पूजन कर रही / रहा हूं।
सर्वप्रथम गणेश पूजन करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। अब भगवान शिव का पूजन शुरू करें। गृहस्थ जीवन में भगवान श्री शिव की पारद प्रतिमा का पूजन सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। सफेद आक या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
आवाहन ( शिव जी को आने का न्यौता देना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल चढ़ाएं। आवाहन का अर्थ है कि भगवान शिव को अपने घर में आने का बुलावा देना।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल चढ़ाएं। आवाहन का अर्थ है कि भगवान शिव को अपने घर में आने का बुलावा देना।
आसन ( शिव जी को बैठने के लिए स्थान देना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि कहते हुए आसन दें। आसन का अर्थ है कि भगवान शिव को घर के पूजा घर में विराजने के लिए आसन दिया है।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि कहते हुए आसन दें। आसन का अर्थ है कि भगवान शिव को घर के पूजा घर में विराजने के लिए आसन दिया है।
पाद्यं ( भगवान शिव के पैर धुलाना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पादयो : पाद्यं समर्पयामि कहते हुए पैर धुलाएं।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पादयो : पाद्यं समर्पयामि कहते हुए पैर धुलाएं।
अर्घ ( हाथ धुलाना)
आचमनी में जल, पुष्प, चावल लें। ऊँ साम्ब शिवाय नमः हस्तयोः अर्घं समर्पयामि कहते हुए हाथों को धुलाएं।
आचमनी में जल, पुष्प, चावल लें। ऊँ साम्ब शिवाय नमः हस्तयोः अर्घं समर्पयामि कहते हुए हाथों को धुलाएं।
आचमन (मुख शुद्धि करना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आचमनीयम् जलं समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। आचमन का अर्थ होता है मुख शुद्धि करना।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आचमनीयम् जलं समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। आचमन का अर्थ होता है मुख शुद्धि करना।
पंचामृत से स्नान कराना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि कहते हुए पंचामृत से नहलाएं। पंचामृत का अर्थ है कि दूध, दही, शक्कर, शहद व घी का मिश्रण। इन पांचों चीजों से भगवान को नहलाना।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि कहते हुए पंचामृत से नहलाएं। पंचामृत का अर्थ है कि दूध, दही, शक्कर, शहद व घी का मिश्रण। इन पांचों चीजों से भगवान को नहलाना।
शुद्ध जल से स्नान कराना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। कहते हुए शुद्ध जल से स्नान कराएं।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। कहते हुए शुद्ध जल से स्नान कराएं।
वस्त्र अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः वस्त्रोपवस्त्रम् समर्पयामि कहते हुए वस्त्र अर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः वस्त्रोपवस्त्रम् समर्पयामि कहते हुए वस्त्र अर्पित करें।
गन्ध अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः गन्धं समर्पयामि। चंदन, अष्टगंध इत्यादि सुगंधित द्रव्यों को लगाएं।
पुष्प अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पं समर्पयामि कहते हुए आक, धतुरा, चंपा के पुष्प चढ़ाएं।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः गन्धं समर्पयामि। चंदन, अष्टगंध इत्यादि सुगंधित द्रव्यों को लगाएं।
पुष्प अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पं समर्पयामि कहते हुए आक, धतुरा, चंपा के पुष्प चढ़ाएं।
बिल्व पत्र अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि कहते हुए बिल्व पत्र अर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि कहते हुए बिल्व पत्र अर्पित करें।
अक्षत (चावल) अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः अक्षताम् समर्पयामि। कहते हुए 11 या 21 चावल अर्पित करें। अक्षत का अर्थ है आखा। ध्यान रखें कि अक्षत टूटे हुए न हों।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः अक्षताम् समर्पयामि। कहते हुए 11 या 21 चावल अर्पित करें। अक्षत का अर्थ है आखा। ध्यान रखें कि अक्षत टूटे हुए न हों।
धूप दिखाना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः धूपम् आघर्पयामि कहते हुए धूप दिखाएं। अपने हाथों से धूप पर से हाथ फिरा कर शिव पर छाया करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः धूपम् आघर्पयामि कहते हुए धूप दिखाएं। अपने हाथों से धूप पर से हाथ फिरा कर शिव पर छाया करें।
दीप दिखाना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः दीपम् दर्शयामि। कहते हुए दीपक दिखाएं। अपने हाथों से दीपक पर से हाथ फिरा कर भगवान शिव पर छाया करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः दीपम् दर्शयामि। कहते हुए दीपक दिखाएं। अपने हाथों से दीपक पर से हाथ फिरा कर भगवान शिव पर छाया करें।
आरती करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आरार्तिक्यम् समर्पयामि कहते हुए आरती अर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आरार्तिक्यम् समर्पयामि कहते हुए आरती अर्पित करें।
प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें
भगवान शिव की परिक्रमा करें। शास्त्रों में भगवान शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करने का उल्लेख किया गया है। जलाधारी का लंधन नहीं किया जाता है। परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति के सामने यह कहते हुए प्रदक्षिणा समर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः प्रदक्षिणा समर्पयामि।
भगवान शिव की परिक्रमा करें। शास्त्रों में भगवान शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करने का उल्लेख किया गया है। जलाधारी का लंधन नहीं किया जाता है। परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति के सामने यह कहते हुए प्रदक्षिणा समर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः प्रदक्षिणा समर्पयामि।
पुष्पांजलि अर्पित करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पांजलि समर्पयामि कहते हुए हाथ में लिए पुष्पों को भगवान शिव को समर्पित कर दें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पांजलि समर्पयामि कहते हुए हाथ में लिए पुष्पों को भगवान शिव को समर्पित कर दें।
नेवैद्य अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यम् निवेदयामि कहते हुए पंचामृत का भोग लगाएं।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यम् निवेदयामि कहते हुए पंचामृत का भोग लगाएं।
फल समर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः फलम् समर्पयामि कहते हुए फल अर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः फलम् समर्पयामि कहते हुए फल अर्पित करें।
मिठाई का भोग लगाएं
ऊँ साम्ब शिवाय नमः मिष्ठान्न भोजनम् समर्पयामि कहते हुए मीठा भोजन मिठाई अर्पित करें।
पंचमेवा समर्पयामि
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचमेवा भोजनम् समर्पयामि कहते हुए पंचमेवा अर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः मिष्ठान्न भोजनम् समर्पयामि कहते हुए मीठा भोजन मिठाई अर्पित करें।
पंचमेवा समर्पयामि
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचमेवा भोजनम् समर्पयामि कहते हुए पंचमेवा अर्पित करें।
आचमन करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यांति जलं आचमनम् समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान को नेवैद्य अर्पित करने के बाद मुख शुद्धि के लिए आचमन करवाया जाता है।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यांति जलं आचमनम् समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान को नेवैद्य अर्पित करने के बाद मुख शुद्धि के लिए आचमन करवाया जाता है।
ताम्बूल ( पान खिलाना )
ऊँ साम्ब शिवाय नमः तांबूल समर्पयामि कहते हुए पान अर्पित करें। भगवान को पान का भोग लगाएं।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः तांबूल समर्पयामि कहते हुए पान अर्पित करें। भगवान को पान का भोग लगाएं।
द्रव्य दक्षिणा समर्पित करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः यथाशक्ति द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि कहते हुए दक्षिणा समर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः यथाशक्ति द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि कहते हुए दक्षिणा समर्पित करें।
क्षमा-प्रार्थना
क्षमा-प्रार्थना पूजन में रह गई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगे। जीवन में सुख समृद्धि बनाये रखने की प्रार्थना करें।
क्षमा-प्रार्थना पूजन में रह गई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगे। जीवन में सुख समृद्धि बनाये रखने की प्रार्थना करें।
प्रेम से बोलो... ॐ नमः शिवाय......
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