अर्कवंशी क्षत्रियों का संक्षिप्त इतिहास
अर्कवंशी क्षत्रियों का संक्षिप्त इतिहास-------->>>>>>
अर्कवंश भारतीय मूल का एक प्राचीन क्षात्रिय वंश है। चूकि प्राचीन भारत में इतिहास लेखन की परम्परा ही नही थी, अतः अन्य क्षत्रिय वंशो की तरह ही अर्कवंशी क्षत्रियों की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न स्त्रोतो से अलग-अलग मत एवं उल्लेख प्राप्त होते है । इन विभिन्नो मतो से सिद्ध होता है कि अर्कवंश सिर्फ एक शाखा नही बल्कि सूर्यवंश का पर्यावाची शब्द है, जो कि प्राचीनकाल से ही सूर्यवंशी क्षत्रियों द्वारा प्रयुक्त किया जा रहा हैं। अलग-अलग कालों में सूर्यवश के अन्तर्गत कई अर्क नामधारी राजा हुए। कालान्तर में इन अर्क राजाओं की वंश परम्पराए(पीढ़िया) सूर्यवश की समानान्तर शाखाओें के रूप में स्थापित हो गयी तथा इनके वंशधर अर्कवंशी क्षत्रिय कहलाए। अर्कवंशी क्षत्रिय सूर्य को कुलदेवता मानते थे तथा सूर्य के उपासक थे।
पौराणिक ग्रन्थो के अनुसार राजा कश्यप के पुत्र सूर्य थे तथा सूर्य के द्वादश पुत्रो में से दूसरे पुत्र आर्यमा तथा सातवे पुत्र वैवस्वत मनु थे, जिन्हे ‘अर्क तनय’ के नाम से जाना जाता था। मनु के पुत्रो मे इक्ष्वाकु ने अयोध्या, नाभारिश्ट ने विशाला, कारूश ने दक्षिण बिहार , ध्रष्ट ने पंाचाल, नाभाग ने यमुना के दक्षिण भाग, शयार्ति ने आनर्त (उत्तर गुजरात) और निधि ने विदेह (पूर्वोत्तर बिहार) मे अपना राज्य स्थापित किया, जबकि नरिष्यन्ति मध्य एशिया में जाकर बस गये। कालान्तर में नरिष्यन्ति के वंशज इस्लाम धर्म के प्रादुर्भाव के बाद इस्लाम धर्मी हो गये।
राजा कश्यप के पुत्र सूर्य से ‘सूर्यवंश’ , अत्रिपुत्र चन्द्र से चन्द्रवश और सूर्य के पुत्र आर्यमा से आर्यवंश की स्थापना हुुई। इन तीनो राजवंशों के वंशज, कालान्तर में, आर्य संस्कृति को अपनाने के कारण आर्य कहलाये और भारत भूमि पर इनकी कर्मभूमि आर्यावर्त के नाम से प्रसिद्ध हुई ।
विभिन्न कालो में आर्यक्षत्रियों के वशजों ने अपने-अपने मूलपरूषो के नामों पर कई वशों, शाखाओं एवं प्रशाखाओं को प्रतिष्ठापित किया। सूर्यपूत्र आर्यमा के ज्येष्ठ पुत्र आर्यक के वंशधर आर्य क्षत्रिय, सूर्यवंशी क्षत्रिय और अर्क क्षत्रिय नाम से विख्यात हुये । सूर्यवंश के अन्तर्गत भिन्न-भिन्न कालों में अनेक अर्क नामधारी प्रतापी राजा हुये । अर्क शब्द व्यक्ति सूचक न रहकर वश परम्परा का परिचायक बना ।
बौद्ध ग्रन्थ महावास्तुु तथा सुमंगल विलासिनी के अनुसार आदित्य बन्धु या अर्कबन्धुु शाक्यवंशी लोग हैं । आदित्य और अर्क सूर्य के पर्यावाची हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भी शाक्यवंश के लोग सूर्यवशी क्षत्रिय थे। इनकी राजधानी कपिलवस्तु थी । कपिलवस्तु को ही अकों के पूर्वजों की जन्मभूमि बताया गया है । कपिलवस्तु सूर्यवंशी राज्य कोशल का हिस्सा थी तथा यहाॅं पर सूर्य-शाक्यवंष का गणराज्य था । शाक्यवंश में महाराजा शाक्य तथा सिद्धार्थ हुये, जो कि बाद में दिव्य-ज्ञान प्राप्त करके गौतम बुद्ध कहलाये । गौतमबुद्ध का एक नाम अर्कबन्धु भी है इसी कारण उनके अनेक कुलज अर्क नामधारी हुए । अमरकाश के पृ.सं. 4 पर लिखा है-
“स शाक्यसिंहः सर्वार्थः सिद्धः शौद्धोदनिश्च सः ।
गौतमश्चार्क बन्धुुश्च मायादेवीसुतश्च सः ।।“
अनुवादः- ‘शाक्यमुनि, शाक्यसिंह, सर्वार्थसिद्ध, शौद्धोदनि, गौतम, अर्कबन्धु और मायादेवीसुत, ये सात नाम बौद्धमत के प्रचारक भगवान बुद्ध (शाक्यमुनि) के है ।’
अर्क जातक-
महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मो की कहानियां जातक कथाओं के नाम से जानी जाती हैं। कथा संख्या 169 कों ‘अर्क जातक’ कहा जाता है। इसके अनुसार तेजस्वी एवं ज्ञान से परिपूर्ण गौतमबुद्ध का अर्क भी कहा गया है। कालान्तर में उनके अनेक वंशजों ने अर्क नाम धारण किया ।
शाक्यवंशी अपने कुल-गौरव को अक्षुण रखने के निमित्त, रक्त मिश्रण के भय से समगोत्रीय विवाह सम्बन्ध कायम करते थे, जिसे ‘गुरावट’ प्रथा के नाम से जाना जाता था । इस प्रकार की प्रथा वर्तमान में अर्कवंशी क्षत्रियो के अलावा विभिन्न अगड़ी तथा पिछड़ी जातियो से प्रचलित है। शाक्यवंशी इस प्रथा का बहुत ही कठोरतापूर्वक पालन करते थे, उदाहरणस्वरूप, कोशलनरेश प्रसेनजति, जिसकी राजधानी काशी में थी, का विवाह प्रस्ताव आने पर शाक्य राजा ने अपनी पुत्री न देकर एक दासी कन्या का विवाह उससे करवा दिया था, जिसके विद्धक नामक पुत्र का जन्म हुआ । जब विरूद्ध को अपने जन्म की सत्यता का पता चला तब उसने शाक्यवंशी क्षत्रियों का भीषण नरसंहार किया ।
अर्क शिरोमणि राम के पुत्र कुश के वंशजों ने कोशल के पूर्वी क्षेत्र में कुशावती राज्य स्थापित किया, जिसे अब कसिया कहा जाता है। कुश के वंशजों की एक शाखा का राज्य शाकवन नामक स्थान में होने के कारण यह शाखा शाक्य के नाम से प्रसिद्ध हुयी । कुछ लेखों के अनुसार कश के वंशजों में एक शाक्य यर सतसुक्य नामक राजा हुये, जिनके नाम से शाक्यवंश चला।
हिन्दू धर्मशास्त्रो एवं हिन्दूजाति निर्णय के अन्वेषणकर्ता श्रोत्रिय पंडित छोटेलाल शर्मा, जिन्हे तत्कालीन भारत सरकार ने इस कार्य के लिये सन् 1901 में नियुक्त किया था, ने अपनी खोज और शोध को एक ग्रन्थ के रूप् में सन् 1928 में प्रकाशित किया था । इस ग्रन्थ में उत्तर-प्रदेष (तत्कालीन युक्त प्रदेश) के अन्दर विद्यामान समस्त जाति-धर्म के लोगों के बारे सप्रमाणित उल्लेख किया गया था । इस पुस्तक में अर्कवंशी क्षत्रियों के बारे में शर्मा जी कहते हैं-
“यह एक कृषि करने वाली जाति है। विषेश रूप से ये लोग अवध में है परन्तु युक्त प्रदेश में भी कही-कही पाये जाते है । इस जाति की उत्पत्ति विषयक अन्वेषण करने से ऐसा निश्चय हुआ है कि अर्क नाम सूर्य और वंश नाम संतति अर्थात जो सूर्यवंशी थे वो लोग ही अर्कवंशी कहलाये गये। जिन सूर्यवंशियो के राज्य व धनबल रहा वे सूर्यवंशी राजपूत कहाते रहै और जिन्हे विपत्तिवश प्राणरक्षार्थ इधर-उधर भागना पड़ा वे विचारे कृषि आदि के धन्धे मे लगकर कही अर्कवंशी और कही अरक और अरख कहाने लगे । इतिहासो से पता चलता है कि हरदोई जिले में किसी समय इनका प्रभुत्व था ।“
मुरादाबाद निवासी विद्यावारिद पंडित ज्वाला मिश्र द्वारा रचित ऐतिहासिक शोध ग्रन्थ ‘जाति भाष्कर’ में अर्कवंशी क्षत्रियो का वर्णन क्षत्रिय खण्ड में किया गया है। इसके अनुसार अर्कवंशी जाति सूर्यवंशी क्षत्रिय है और अब यह अरख कहाते है । मि. क्रुक साहब ने सूर्य उपासक तिलोकचन्द के वश का नाम अर्कवंश लिखा है ।
ऐतिहासिक ग्रन्थ ‘क्षत्रिय वंशार्णव’ के लेखक, ऐतिहासिक एवं अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के महामंत्री एवं वरिष्ठ इतिहासकार श्री भगवानदीन सिंह सोमवंशी के अनुुसार अर्कवंशी क्षत्रिय मूलरूप से सूर्यवंशी क्षत्रिय है, जो कि ‘अर्क’ ,’अरक’,’ अरख’ आदि नामों से भी जाने जाते है । अर्कवंशी क्षत्रिय के विषय में वे अपने ग्रन्थ के पृ. 411-412 पर लिखते है - यह सूर्यवंशी की शाखा रघुवंश जिसमें रामचन्द्र और रामपुत्र कुश हुए । कुश के वंशजो की एक शाखा शाक्यवश चली, जिसमें शाक्यवंशी गौतम तथा गौतमबुद्ध हुए जो शाक्यवंशी शुद्धोधन के पुत्र थे । ग्रन्थ पृ. 413 पर आगे लिखता है- “अर्कवंश का इतिहास बहुत प्राचीन है और गौरवशाली भी । … अर्कवंश प्राचीन राजवंश है, इनके राज्य तथा ठिकाने हरदोई में सण्डीला (अवध गजेटियर), बहराइच का अकोनी ‘बहराइच गजेटियर’, इकौना , अकौना (चीनी यात्री व्हेनसांग)... इसके अतिरिक्त अर्कवंश का राज्य दांतली, बेनीगंज, नर्वल, साढ़ सलमेनपुर, पडरी(उन्नाव), खागा,(फतेहपुर), अयाह आदि में रहा है।
अर्कवंशी राजा आर्यक के अनेक वंशधरों में एक वीर राजा भट्ट अर्क हुए है। उन्होंने गुजरात(सौराष्ट्र) में पुनः अर्कवंशी राज्य की स्थापना की । कुछ इतिहासकारों ने उन्हे मैत्रकवशी बताया है। पर वास्तव में वह अर्कमण्डल में सम्मिलित अर्कवंशी क्षत्रिय थे । जिन्हे उक्त संघ के अन्य क्षत्रिय मित्रवंशी (अर्थात सूर्यवंशी) कहकर पुकारते थे। मित्रवंश को ही सम्भवतः इतिहासकारो ने मैत्रक नाम दे दिया है। राजा भट्ट सूर्य के उपासक थे तथा उनके शासनकाल में वहा सूर्य पूजा का अत्याधिक प्रचार-प्रसार हुआ । गुजरात के कई हिस्सो में अभी सूर्य मंदिर पाए जाते है । भट्टार्क के एक उत्ताराधिकारी राजा ने पूर्वी अपने पितामह के नाम पर भट्टनगर की स्थापना की, जो अब भटिण्डा के नाम से जाना जाता है।
अर्कवंशी क्षत्रियों के भेद -
अर्कवंशी क्षत्रियों के अन्य मुख्य भेद है - खंगार, गौड, वाछल (वाछिल,वच्छ,गोती), अघिराज, परिहार, गुहिलौत, सिसौदिया, गोहिल, शाक्यवंशी, पुष्यभूति, पुश्यभूति, तिलोकचंदी, नागवंशी, उदमतिया, कोटवार, आहडि़या, मैत्रक, ख्रड़गवंशी इत्यादि ।
क्षात्र धर्म-
सच्चा क्षत्रिय वही है जो हर अवस्था में क्षात्र धर्म का पालन करता है । क्षात्र धर्म का पालन क्षत्रियोगिता गुणो के विकास द्वारा ही हो सकता है । अतः प्रत्येक क्षत्रिय में इन गुणों का होना अत्यन्त आवश्यक है । सर्वमान्य क्षत्रियोचित गुण निम्नलिखित है:- स्वाभिमान,अध्ययनशीलता, राष्ट्रप्रेम, संघर्श क्षमता एवं स्वालम्बन, धैर्य एवं साहस, न्यायाप्रिता, राजनैतिक चेतना।
अर्कवंशी भाइयों, विपरीत परिस्थियों एवं समय के कुचक्र से भयभीत मत होइये। अच्छे समय के लिये संगठित होकर प्रयासरत और संघर्षरत रहिये, अन्यथा सामाजिक उद्धार एवं राष्ट्रहित एक कल्पना मात्र बन कर रह जायेगां ।
Jai arkvansh
ReplyDeleteThanks for Knowledge by arkvanshi katirya
Jai suryvansh
ReplyDeleteजय अर्कावंश
ReplyDeleteGoogle pe dekh
DeleteJai arkvanci
ReplyDeleteJai jai arkvansh brijesh singh
ReplyDeleteI am khadagvanshi omveer rajput rukhalu
ReplyDeleteBhai khadagvanshi rajputo ka history batao
Deleteबड़े भाई मूझे भी खडगवनशी राजपुत वंश का विस्तार पूर्वक जानकारी चाहिए हमरी सहायता करे
DeleteWhatsapp number do apna
DeleteRajkishor
ReplyDeleteJay ho arkvanshi samaj ki
Kaafi baato se Sehmat Hu,Mai Bais Kshatriya Hu....
ReplyDeleteMai Mall Malihabad se Hu...
Arkvanshi is from a kshatriya clan
DeleteKoi btayega ki aarakh ya khengar Rajput hote hai ?
ReplyDeleteNiii
DeleteArkvashi is a suryavanshi thakur it is a part of suryavansh.but arakh are not kshatriya some peolpe spoiled the arkvashi kshatriya name to arakh i don't know what people get by doing all these nonsense.
DeleteGood info but when we search about akrvanshi caste it's shows on Google that arkvanshi arakh they are belong to sc category and they are paasi
DeleteI don't why in obc certificate it's written arakh when people search it on Google it's written they are paasi.so government have to do something about it bcoz on the basis of caste certificate they can't prove who they are
DeleteSahi kaha aapne
Deleteजय अर्क वंश बहुत ही बढ़िया जानकारी है हरी किशन सिंह अर्कवंशी कन्नौज उत्तर प्रदेश
ReplyDeletejai suryvansham mr. vishal singh
ReplyDeletemr vishal singh suryavanshi sundarpur
ReplyDeleteShiwa Arkwanshi. jay arlwansh. jay surywansh.
ReplyDeleteJay arkwansh jay surywansh
ReplyDeleteShiwa arkwanshi
Very Good information...But What is the source of this information?
ReplyDelete(Amit Arkvanshi, Meerut)
Google pe dekh cast
DeleteWahhh maza aagai arkvansi bhaiyo
ReplyDeleteGoogle pe dekho aur maza ayega
DeleteJai arkvanshi 🙏
ReplyDeleteJai sri ram jai arkvansh suryvansh
ReplyDeleteJay suryavansh
ReplyDeleteVerry good jankari 👌👌👌👍👍🚩🚩🚩
ReplyDeleteExcellent bahut achhi jankari di app nay
ReplyDelete👌👌👌👌👌👌👌☺️☺️☺️
iam vishal arkvanshi from sandila distick hardoi
ReplyDeleteGood information
Delete(राजन कुमार अर्कवंशी ,संडीला ,ब्लॉक बेहंदर, ग्राम भटौली)
Jai suryawasi damaj ki
ReplyDeleteHame sath chalna hoga arak arakh Arakvanshi suryvansi👌👌behtar banna hoga iske liye pdai jaruri haii ham Apne Samaj ko chichit Karna chahiye
ReplyDeleteसूर्य भगवान जी जय 🙏🏻🙏🏻🚩🚩
ReplyDeleteArkvanshi chatriya samaj ki jai ho
ReplyDeleteRohit Arkvashi distic Sitapur
भाई साहब अर्कवंशी क्षत्रिय संगठन बनाया गया है जिसमें आपकी उपस्थिति अनिवार्य है आप और अपने साथियों को भी इस ग्रुप में भागीदार करें जिससे अपने समाज का प्रचार सुगमता से किया जा सके।
Deleteआपका साथी
घनश्याम सिंह अर्कवंशी क्षत्रिय
9454847418
8853888879
कृपया व्हाट्सएप्प पर सम्पर्क करें
Deleteधन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏🙏
Sanjay Kumar Arkvnshi distic Lkhimpur
ReplyDeleteभाई साहब अर्कवंशी क्षत्रिय संगठन बनाया गया है जिसमें आपकी उपस्थिति अनिवार्य है आप और अपने साथियों को भी इस ग्रुप में भागीदार करें जिससे अपने समाज का प्रचार सुगमता से किया जा सके।
Deleteआपका साथी
घनश्याम सिंह अर्कवंशी क्षत्रिय
9454847418
8853888879
Your district and state
DeleteJay sooryavanshi Jay Arkvanshi
ReplyDeleteBut I read yesterday that the Arkavanshi Thakur was transferred to the backward caste is that true? Plz answer me
ReplyDeleteFrom the beginning they put in backward caste ,any kshatriya didn't accept them as a thakur(kshatriya)and they didn't do marriage in arkavanshi
DeleteIs samajh ko pahle shiksha pr jor dena chahiye fir nokari is aadhunik time me kadm sahi se naa rakhe to na ap rah pawoge naa hi samjh yadi samaj ko ek naayak mod de sako
ReplyDeleteविकाश सिंह अर्कwashi High Court Luck.
ReplyDeleteJai Arkvanshi
ReplyDeleteJai shri Ram
Verry nice
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी कि आप लोगों ने शहर में सूर्यवंश जय श्री राम
ReplyDeleteJai Arkvansh
ReplyDeleteअर्कवंशी छत्रिय इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण है सत्यपाल अर्कवंशी लखनऊ
ReplyDeleteAnmol singh arkvanshi
ReplyDeletemjhe bhai ror biradri ke gaon h kanpur allahabaad h kasba h khaga 84 gaon h yeh sach h kya h to btao
ReplyDeleteBhai sahab mai khaga se hi hu ap kaha se hai my number 8874140683
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